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लंगड़ा आम

लंगड़ा आम की विशेषताएं

लंगड़ा आम की विशेषताएं

भारत में आम की हर तरह कि किस्म मौजूद है और उन किस्मों में से एक लंगड़ा आम की किस्म है। जो लोगों को बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है इस के स्वाद से लोगों के मुंह में अजीब सी मिठास आ जाती है। 

नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता हैं। लंगड़े आम की विशेषता और इससे जुड़ी विभिन्न प्रकार की आवश्यक जानकारी जानने के लिए हमारे इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे:

लंगड़ा आम

लंगड़ा आम उत्तर भारत में सबसे प्रसिद्ध है और लंगड़ा आम बनारस में बहुत ही मशहूर है। वैसे तो बनारस का पान, साड़ी और भी आवश्यक चीजें है जो बनारस की बहुत ही ज्यादा मशहूर है। 

लेकिन बनारस के लंगड़े आम की अपनी एक अलग जगह है। लोगों में यह लंगड़ा आम इतना लोकप्रिय है कि लंगड़े आम की कोई भी कीमत देने के लिए लोग तैयार रहते हैं इसके स्वाद को चखने के लिए।

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लंगड़े आम का परिचय

लंगड़ा आम की पैदावार उत्तर प्रदेश के बनारस में होती है। लंगड़ा आम करीबन 300 साल पुराना कहा जाता है। प्राप्त की गई जानकारियों के अनुसार लंगड़ा आम की स्थापना एक साधु द्वारा की गई थी जो कि शिव मंदिर में आकर निवास कर रहे थे। 

लंगड़ा आम दिखने में बहुत ही खूबसूरत होते हैं  इनकी गुठली  बहुत ही छोटी होती और गूदे बहुत ही ज्यादा होते हैं इसीलिए इन्हें और भी ज्यादा पसंद किया जाता है।

इसका नाम लंगड़ा आम क्यों पड़ा

यदि आप अभी भी इस बात से अपरिचित हैं कि इस आम को लंगड़ा आम के नाम से क्यों पुकारा जाता है? तो निश्चित रहे हम आपके इस प्रश्न का उत्तर जरूर देंगे। 

इस आम को लंगड़ा आम इसलिए कहा जाता है कि, जिस साधु जी द्वारा इस पौधे का रोपण हुआ था, जो इस पेड़ की देखरेख करते थे वह लंगड़े थे। 

इस लिए पेड़ से पैदा होने वाले सभी आमो को लंगड़ा आम का नाम दिया गया। भारत में इस प्रजाति के सभी आम लंगड़े आम के नाम से ही प्रसिद्ध हैं।

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लंगड़ा आम का इतिहास

पुरानी जानकारियों के चलते लंगड़े आम का अपना अलग ही इतिहास हैं। कि करीब ढाई सौ साल पहले की यह कहानी या फिर घटना कहे। बनारस में एक बहुत ही छोटा सा शिव मंदिर था। जो लगभग 1 एकड़ की जमीन पर बना हुआ था।

चार दिवारी के अंदर यह मंदिर स्थापित था। एक दिन इस शिव मंदिर में एक साधु आया और पुजारी से कुछ दिन मंदिर में ठहरने को कहा। पुजारी जी ने उस साधु को मंदिर में ठहरने की अनुमति दे दी। 

पुजारी जी ने कहा यहां बहुत सारे कच्छ है जिसमें आप चाहो रह सकते हो। साधु जी के पास दो छोटे-छोटे आम के पौधे थे। 

आम के पौधों को साधु जी ने अपने हाथों से मंदिर की पीछे वाली दीवार के पास अपने हाथों से रोपड़ कर दिया। रोज सुबह साधु जी  पेड़ को पानी देते पेड़ की अच्छी तरह से देखभाल करते थे। 

साधु जी करीब 4 साल उस मंदिर में रुके रहे और पेड़ों की सेवा करते रहें। 4 साल के अंदर पेड़ काफी बड़ा हो गया और उसमें छोटी-छोटी कलियां भी खिल गई। साधु जी ने उन कलियों को शिव मंदिर पर चढ़ा दिया। 

साधु जी बनारस से चले गए, जाने से पहले साधु जी ने इस आम के पेड़ से निकलने वाले फल को प्रसाद के रूप में बांटने को कहा और पुजारी जी वैसा ही करते रहे भक्तों को शिवप्रसाद के रूप में वह आम के टुकड़े देते थे। 

इस लंगड़े आम की खबर काशी नरेश के कानों तक जा पहुंची और वह एक दिन स्वयं इस आम के वृक्ष को देखने आए रामनगर के मंदिर में बहुत ही श्रद्धा के साथ। 

काशी नरेश ने भगवान शिव की पूजा की और फिर पुजारी जी से कहा कि आप मुझे इस आम की कुछ जड़े दे सकते हैं। पुजारी जी ने कहा मैं आपकी आज्ञा को कैसे अस्वीकार कर सकता हूं। 

मैं साधना पूजा के दौरान शंकर जी से प्रार्थना करता हूं। जैसे ही मैं शिव जी का संकेत पाता हूं आप के महल में आकर आम के रूप में प्रसाद लाऊंगा। काशी नरेश को वृक्ष लगाने की आज्ञा प्राप्ति हो गए। 

महल के समीप एक छोटा सा बाग बनाकर इन बीजों का रोपण किया गया। वर्षा ऋतु के बाद काफी भारी मात्रा में वृक्ष बनकर फल देने लगे। 

इस प्रकार से राम नगर में लंगड़े आम के बहुत सारे भाग बन गए। बनारस में खुले स्थानों में या गांव में लंगड़े आम की भरमार नजर आती है। लोकप्रिय लंगड़े आम का कुछ इस प्रकार का इतिहास रहा है।

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लंगड़ा आम खाने के फायदे

लंगड़ा आम खाने के बहुत से फायदे हैं और यह फायदे निम्न प्रकार है;

  • लंगड़ा आम स्वाद के मामले में सबसे स्वादिष्ट और बेहतर होता है। मुंह में मीठे रस की तरह घुल जाता है और मुंह का स्वाद 1 मिनट में बदल देता है।
  • यदि आप लंगड़े आम का सेवन करते हैं तो आपके शरीर का कोलेस्ट्रोल पूर्ण रूप से नियंत्रण में रहता है।
  • आम में अच्छी मात्रा में विटामिन सी मौजूद होता है विटामिन सी के साथ ही साथ इसमें फाइबर जैसे गुण भी मौजूद होते हैं। यह सभी आवश्यक तत्व विशेष रुप से खराब एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।
  • लंगड़े आम से आप जूस, जैम, शेक या अन्य प्रकार की डिशेस भी बना सकते हैं जो आपको पसंद हो।
  • लंगड़े आम से किसानों को अच्छा मुनाफा पहुंचता है और यह फसल किसी भी तरह की कोई लागत नहीं मांगती है। लंगड़े आम से किसानों को अच्छे आय की प्राप्ति होती है।

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दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी यह पोस्ट लंगड़े आम की विशेषताएं, से लंगड़े आम का इतिहास लंगड़े आम से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक और महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होगी। 

जिससे आप लंगड़े आम के विषय में पूरी तरह से जान सकेंगे। यदि आप हमारी दी गई जानकारियों से संतुष्ट हैं। तो ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों और सोशल मीडिया व अन्य प्लेटफार्म पर हमारे इस आर्टिकल को शेयर करते रहें। धन्यवाद।

गर्मियों में सबसे ज्यादा मांग में रहने वाले फल से जुड़ी कुछ खास बातें

गर्मियों में सबसे ज्यादा मांग में रहने वाले फल से जुड़ी कुछ खास बातें

आम को फलों का राजा भी कहा जाता है। गर्मियों के दिन हों और आम का ख्याल मन में ना आए ऐसा संभव ही नहीं। जी हाँ, सिर्फ भारत ही नहीं पूरे विश्व में आम की ताजगी और स्वाद का परचम लहराता है। 

इसलिए आज हम आपके लिए एक ऐसे आम की जानकारी लेकर आए हैं, जिस आम को आमों का बादशाह कहा जाता है। 

भारत के अंदर इस आम की अत्यधिक मांग होती है। अल्फांसो आम को नर्सरी में भी उगाया जा सकता है। लोग इसका कई तरीकों से सेवन करते हैं। 

कुछ लोग इसका जूस बनाकर पीना पसंद करते हैं, तो कई लोग आइसक्रीम बनाने में भी इसका उपयोग करते हैं। आम की बहुत सारी प्रजातियाँ होती हैं। अल्फांसो आम इन्हीं में एक आम की किस्म है। 

आम की बुवाई कब और कैसे करें ?

आम की बुवाई जून माह में करनी सबसे अच्छी होती है। खेत में 4 से 6 इंच वर्षा हो जाने के बाद गड्ढे तैयार कर लें। गड्ढे तैयार करने के बाद आम का रोपण करें। 

ध्यान रहे कि 15 जुलाई से लेकर 15 अगस्त के मध्य आम का रोपण कभी नहीं करना चाहिए। क्योंकि, यह संपूर्ण वर्षा का मौसम है। 

इसलिए कृषक भाई सदैव भरपूर वर्षा की अवधि में आम की रोपाई को टालें। अगर पर्याप्त सिंचाई उपलब्ध हों, तो ऐसे में फरवरी मार्च के महीने में आप आम का रोपण कर सकते हैं। यह समय आप की रोपाई के लिए अत्यंत उपयुक्त है।

आम की उन्नत किस्में इस प्रकार हैं ?

आम की किस्मों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथम शीघ्रफलन प्रजाति जो काफी तेजी से विकसित होकर फल देने लायक बनता है। इसके अंतर्गत आम की तोतापुरी, गुलाबखस, लंगड़ा, बॉम्बे ग्रीन, दशहरी और बैगनफली आदि। 

आम की दूसरी शानदार किस्म मध्यम फलन किस्म है। जैसे मल्लिका, हिमसागर, आम्रपाली, केशर सुंदरजा, अल्फांजो आदि। 

प्रसंस्करण वाली किस्मों में बैगनफली, अल्फांजो, तोतापरी इत्यादि हैं। आम की तीसरी देर से फलने वाली उन्नत किस्में चैंसा और फजली है। हालांकि इन सभी बेहतरीन किस्मों की अलग अलग विशेषताएं हैं। 

आम के फलों की तुड़ाई एवं रखरखाव कैसे करें ?

फलों की तुड़ाई थोड़ा डंठल सहित करें। फलों की तुड़ाई के बाद फलों को अच्छी तरह साफ कर लें। फलों को सदैव हवादार यानी खुले वातावरण में ही रखें। प्लास्टिक की बजाय लकड़ी के बक्से का उपयोग भंडारण के लिए किया जा सकता है।

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फलों को उसके आकार के मुताबिक अलग-अलग रखें। उसका ग्रेड बनाएं। आम की तुड़ाई में इस बात का विशेष ध्यान रखें, कि फल कभी धरती पर ना गिरने पाए। हवादार कार्टून में हमेशा भूसे अथवा सुखी पत्तियां डालकर ही आम को बंद करें। इससे उत्पाद खराब नहीं होगा।

आम की खेती पर सब्सिडी कैसे प्राप्त करें ?

केंद्र सरकार और राज्य सरकार आम की खेती के लिए ही नहीं विभिन्न बागवानी उत्पादों की खेती जैसे फल-फूल सब्जियों आदि के लिए व्यापक अनुदान प्रदान करती है। 

बागवानी पर किसानों को 50 से 80% प्रतिशत तक की अनुदान दिया जाता है। बागवानी पर मिलने वाली सब्सिड़ी की परस्पर जानकारी के लिए मेरीखेती से जुड़े रहें। 

यहां कृषकों से जुड़ी समस्त अनुदानित योजनाओं को कवर किया जाता है। बागवानी की अनुदान से संबंधित राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार की योजनाओं को कवर किया गया है।

बागवानी के लिए लोन कैसे प्राप्त करें ?

बागवानी के लिए ऋण के प्रावधान केवल केंद्र सरकार ने ही नहीं बल्कि भिन्न-भिन्न राज्य सरकारें भी बागवानी को बढ़ावा देने के लिए किसानों को कर्जा प्रदान कर रही है। बैंक से बागवानी के लिए काफी सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। साथ ही, कृषकों को ब्याज पर छूट भी प्रदान की जाती है।